आज का हिंदुस्तान

 
*हुई अज़ाने मगरिब की आवाजें घर में जाती थी !!*
*पंडित के घर की भी औरत तभी दिया जलाती थी !!*
*कल हम पंडित के लोटे से वज़ू बनाया करते थे !!*
*मंदिर में जाकर बच्चे प्रसाद चुराया करते थे !!*
*सुख दुख हो या शादी मैयत सब में साथ निभाते थे !!*
*जाति धर्म का फ़र्क नहीं था सब रिश्ते में आते थे !!*
*अब मंदिर की दीवारें हैं क्यों मस्जिद की मीनारें !!*
*खत्म हुआ सब प्यार मोहब्बत हाथ में सबके तलवारें !!*
*इन नेताओं के चक्कर में रिश्ता हमारा टूट गया !!*
*ईद दीवाली और होली अब साथ मनाना छूट गया !!*
*मंदिर मस्जिद के नामों पर अपनों को ही काटा है !!*
*खून में कोई फ़र्क नहीं बस राजनीति ने बांटा है !!!!*


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